हमारे छोटे से शहर देवरिया में दशहरे का मेला बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, वहाँ दशहरे में सैकड़ो जगहों पर मूर्तियों को सजाया जाता है तथा ग्रामीण व शहरी इलाकों से लाखों लोग इस मेले का आनंद लेने आते हैं , इस मेले की खासियत यह है कि सभी धर्मों के लोग इसमें शामिल होते हैं।
वहाँ पर हर वर्ष कुछ बहुत अच्छे सजावट वाले मूर्तियों को पुरस्कृत किया जाता है, मूर्तियाँ रखने में मुस्लिम समुदाय भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेता है और उनके द्वारा रखी गई मूर्तियाँ हमेशा पुरस्कृत होने वाली मूर्तियों में पहले, दूसरे या तीसरे स्थान पर जरुर रहती हैं। दो मुस्लिम मोहल्ले बाँस देवरिया तथा अबुबकर नगर की मूर्तियाँ एकता क्लब व सर्वधर्म क्लब द्वारा रखी जाती है, जिसे लोग दूर-दूर से देखने आते हैं। शहर में दस पंद्रह जगह की ऐसी मूर्तियाँ जो हर साल सुर्ख़ियों में रहती हैं उनमें इन दोनों की मूर्तियाँ भी शामिल हैं।
करीब दस बारह साल पहले तो बाँस देवरिया के एकता क्लब ने वैष्णो देवी की गुफा व वहाँ की पिण्डियों को एकदम वैसा ही प्रस्तुत कर दिया था, जिसमे सीसीटीवी कैमरे व टेलीविजन लगे हुए थे, उस समय वहाँ के अधिकतर लोगों ने पहली बार सीसीटीवी कैमरा देखा था, और उसके बाद भी हर वर्ष कुछ न कुछ अनोखे सजावट के लिए एकता क्लब प्रसिद्ध रहा। वहीँ दूसरी तरफ अबुबकर नगर के सर्वधर्म क्लब ने अब तक की सबसे विशाल मूर्तियों की सजावट की और उस सजावट से सभी लोगों का दिल जीत लिया और हर वर्ष कुछ न कुछ नया व बेहतर करने की कोशिश में रहते हैं।
वहाँ यह देख कर और भी प्रसन्नता होती है कि मुस्लिम बच्चे ईद की तरह दशहरा का भी बेसब्री से इंतजार करते हैं, तथा पूरे हर्षोल्लास के साथ इसमें शामिल होते हैं, सर्वधर्म सम्भाव की ये भावना हमारे धर्मनिरपेक्ष देश के लिए एक बेहतरीन उदाहरण है।
सचितानंद मिश्र
धर्म से बड़ा देश है और देश से बड़ा इंसान ,
ReplyDeleteबहुत अच्छा लेख है.
धन्यवाद प्रभात जी
ReplyDeletedharmik samanjasyata ka ek achha udaharan pesh kiya hai aapne
ReplyDeletebahut -2 dhanyawad