एक तरफ भारत की
तेज़ी से बढती हुई अर्थव्यवस्था को देखकर लोग इसे विश्व की अर्थव्यवस्था के
नेतृत्व का सपना सजोंये हुए हैं, वहीँ दूसरी तरफ यू.
एन. डी. पी. के बहुउद्देशीय गरीबी सूचकांक के अनुसार भारत के 8 राज्यों के गरीबों की संख्या अफ्रीका के सबसे गरीब 26 देशों के कुल
गरीबों की संख्या से ज्यादा है . इन
राज्यों में मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ , राजस्थान , बिहार , झारखण्ड , उत्तर प्रदेश , उड़ीसा व पश्चिम बंगाल हैं.
संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव वान की मून ने भी माना है की दुनिया में प्रत्येक पाँच सेकेण्ड
में एक बच्चा भूख से मर जाता है. अर्थात 6 लाख बच्चे प्रतिवर्ष भूख से मरते हैं . वहीँ यूनिसेफ
के अनुसार भारत में हर दिन 5 ,000 बच्चे कुपोषण के
शिकार होते हैं तथा हर दूसरी महिला खून की कमी से पीड़ित है
. संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार देश में 23 करोड़ से अधिक लोग भूख के शिकार हैं . भारत के लोगों की इस हालत पर नागार्जुन की पंक्तियाँ याद आ जाती हैं जिसमे उन्होंने कहा है कि -
सूखी आँतों के ऐठन का हमने सुना धमाका ,
पेट पेट में आग लगी है घर घर में है फाँका.
यहाँ लाखों-करोड़ों माँए अपने बच्चों को भूखे सुलाने पर मजबूर हैं
, लोगों को दो जून की रोटी भी नसीब नहीं है और यहाँ की 70 प्रतिशत आबादी 20 रूपये में अपना
जीवन बसर करने पर मजबूर है. भारत का वास्तविक विकास तभी होगा जब गरीब अमीर के बीच की खायी पटेगी वरना इस विकास का कोई औचित्य नहीं रह जायेगा, लोग भूखे मरते रहेंगे और माँए अपने बच्चों को भूखे सुलाने पर मजबूर होती रहेंगी.
सचितानंद मिश्र
सचितानंद मिश्र
"जब तक लाखो-लाख लोग भूख तथा अज्ञान से ग्रस्त हैं,
ReplyDeleteमैं हर उस व्यक्ति को देशद्रोही कहूँगा
जो उसके खर्च पर शिक्षा पाकर भी उन पर कोई ध्यान नहीं देता |"
- विवेकानन्द
kya kahu.... apne aap par sharminda hu... :(
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