Thursday, October 14, 2010

ख्वाहिश नई किरन की




आसमान को छूने की ख्वाहिश 
सूरज की तरह दमकने की ख्वाहिश 
चाँद की तरह चमकने की ख्वाहिश
तारों की तरह टिमटिमाने की ख्वाहिश
जुगनू की तरह जगमगाने की ख्वाहिश
बादल की तरह गरजने की ख्वाहिश
बारिश की तरह बरसने की ख्वाहिश
पर्वतों से ऊँचा उठने की ख्वाहिश
फूलों की तरह महकने की ख्वाहिश
नदियों की तरह बहने की ख्वाहिश
परिंदों की तरह उड़ने की ख्वाहिश
अनजान राही को रास्ता दिखाने  की ख्वाहिश 
लड़खड़ाते हाथों की उम्मीद से थामने की ख्वाहिश
किसी के टूटे अरमानों को फिर से सजाने की ख्वाहिश
सुनी आँखों में एक " नई किरन " जगाने की ख्वाहिश .

प्रीति पराशर 

2 comments:

  1. अच्छी ख्वाहिश

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  2. jahan chah hai wahin raaah hai
    smaj me byapt samast samasyaon ko dur karne ke liye ek nayi khwais...........hai.

    thank u priti ji

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