देश के सम्मान से जुड़े कॉमनवेल्थ खेलों के आयोजन पर सरकार कितनी सक्रिय थी इसका खुलासा कैग की ताजा रिपोर्ट से हो जाता है जिसमें बताया गया है कि कॉमनवेल्थ खेलों की योजना प्रारूप बनाने में ही सरकार ने पांच वर्ष का समय जाया किया।
नवंबर 2003 में दिल्ली को खेल महाकुम्भ की जिम्मेदारी मिली लेकिन अगले तीन सालों में सरकार इस खेल महाकुम्भ के आयोजन पर एक नक्शा भी तैयार नहीं कर पाई। इस दौरान सरकार आयोजन समिति के गठन में जुटी रही। जिसे वर्ष 2003 में कॉमनवेल्थ की दावेदारी के समय सरकार के अधीन काम करने वाली संस्था दिखाई गयी। लेकिन इन शर्तों की अनदेखी करते हुए सरकार ने इसे स्वतंत्र संस्थान के रूप में वर्ष 2005 में आयोजन समिति का पंजीकरण कराया।
यह देश का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि जिस संस्था को इतने बड़े खेल आयोजन का मोर्चा संभालना था उसका पंजीकरण खेल आयोजन से मात्र पांच वर्ष पूर्व कराया गया। कैग ने सरकार की इस देरी पर भी सवाल उठाते हुए कहा है कि जितने दिनों में आयोजन समिति के पंजीकरण में सरकार मसगूल रही उतने में कॉमनवेल्थ की कार्य योजना तैयार हो जाती। ब्रिटेन में होने वाले ओलम्पिक में पांच वर्ष पहले स्टेfडयम तैयार हो जाते हैं और कैग रिपोर्ट के अनुसार भारत में हुए कॉमनवेल्थ के पांच वर्ष पूर्व कार्य योजना तैयार करने के लिए सलाहकार तक नियुक्त नहीं हो पाए थे। वर्ष 2006 में आयोजन समिति की नींद खुली और ईकेएस को कॉमनवेल्थ में होने वाली परियोजनाओं के निर्माण की योजना तैयार करने के लिए सलाहकार नियुक्त किया गया।
अभी यह तो ट्रेलर था। आयोजन समिति ने इसके बाद विभिन्न खेल स्थलों के निर्माण के डिजाइनों में कई परिवर्तन कराए जिसमें न सिर्फ पैसे अतिरिक्त खर्च हुए बल्कि देश की इज्जत भी ताक पर लग गईं।
कैग रिपोर्ट के बाद कॉमनवेल्थ खेलों की योजना तैयार करने में आए खुलासे से साफ होता है कि क्यों इस खेल को कामन मैन की जेब पर डाका माना गया। कॉमनवेल्थ खेलों के आयोजन को लेकर खूब होहल्ला मचा लेकिन कैग रिपोर्ट से अब यह साफ होता है कि खेल प्रोजेक्टों में देरी व अतिरिक्त पैसे के खर्च का जिम्मेदार सिर्फ सरकार की गलत नीतियां हैं।
अभय कुमार पाण्डेय
kis se shikayat kare jo kar rahe hai wo bhi aapne h or jo kar ba rahe hai wo bhi aapne h or jo sah rahe hai vo bhi aapne h.......................kis se shikayat kare ?
ReplyDeleteये पाँच साल विलम्ब केवल इसलिए हुआ कि ठीक से योजना ही नहीं बन पा रही थी देश का पैसा लूटा कैसे जाय.
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