Thursday, September 23, 2010

कॉमनवेल्थ में भिखारी तो दिखेंगे ही


आगामी कॉमनवेल्थ खेलों में दिल्ली की सड़कों से भिखारियों को हटाने की मुहिम या यूं कहें कि इस समस्या को परदे की आड़ में करने छिपाने की कोशिश में दिल्ली सरकार को झटका लगा है क्योंकि सरकार द्वारा भिखारियों के मूल राज्यों के सरकारों को भेजे गए पत्र का जवाब उल्टा पड़ता दिख रहा है। गौरतलब है कि सरकार ने देश के कई राज्यों को पत्र लिखकर कहा था कि उनके राज्यवासी दिल्ली के सड़कों पर भिक्षावृत्ति कर रहे हैं चूंकि यह दिल्ली में अपराध है और कॉमनवेल्थ खेल से पूर्व उनके पुनर्वास की योजना के तहत वे अपने यहां उन्हें बसाने की योजना पर अपना पक्ष बताए। इस पत्र के जवाब में विभिन्न राज्यों ने भिखारियों के लिए राहत व अपने लिए सिरदर्द कम करने का प्रयास किया है। इस समय दिल्ली के सड़कों पर भीख मांगने वालों में विभिन्न राज्यों से हैं जिमें पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, आदि प्रमुख हैं। वरिष्ठ अधिकारी के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राज्यों से मिले जवाब के अनुसार राज्यों ने इस मुद्दे को बाकायदा संविधान की व्याख्या करते हुए कहा है कि वे भिखारी भारतीय नागरिक हैं और भारतीय संविधान के अनुसार वे देश के किसी भी कोने में रहने के लिए स्वतंत्र है। अभी इन राज्यों ने तो कम से कम इन भिखारियों को अपने राज्य की पृष्ठभूमि का माना वहीं कई राज्य ऐसे रहे जिन्होंने इससे इंकार कर दिया कि दिल्ली में भिक्षावृत्ति कर रहे लोग उनके राज्य के निवासी हैं। इन राज्यों से मिले इन जवाब पर अब सरकार भी स्पष्ट रूप से कुछ कहने से बच रही है। राजधानी में प्रत्येक वर्ष लगभग ढाई से तीन हजार भिखारियों को भिक्षावृत्ति के अपराध में पकड़ा जाता है।
अब इस स्थिति में सरकार करे भी तो क्या करे न ही यह हड्डी उगलते बन रही है और न निगलते।
कॉमनवेल्थ अब जब कुछ दिन बाकी है और भिक्षु मुक्त जोन का सपना टूट रहा है। ऐसे में समाज कल्याण विभाग इस खाज को छिपाने के लिए कैसे परदे का इस्तेमाल करेगी यह देखने वाली बात होगी।


अभय कुमार पाण्डेय

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